Saturday 2 June 2018

विचार

हर बार सिर्फ भड़कने से काम नही चलता ,

सौ लोग ,
सौ बाते ,
और
हज़ार तर्क

यह कोई नई बात नही है ,
अपने नज़रिए से दुनिया देखें ।

ऐसी चीजों को अगर सियासी नज़रों
और सोच के साथ देखोगे तो कहीं के नही रहोगे ।

मैं निदा फ़ाज़ली साहब को भी पढ़ता हूँ ,
और गोपाल दास नीरज जी को भी ...

मैं अक्षय कुमार की फिल्म्स भी देखता हूँ ,
और इररफन खान की भी ...

मैं शंकर महादेवन को भी सुनता हूँ ,
और राहत फतेह अली खान को भी ...

बस
मुझे तो इतना ही ज्ञान है ... बाकी असली ज्ञान
तथाकथित देशभक्तो के पास है ।

#क्योंकि
#अज्ञानी_हूँ_मैं

#सचिन_कुमार
#SchnKmrPrajapati

Friday 1 June 2018

विचार

आज के समाज में बहोत सहनशीलता देखने को मिलती है ,

क्योंकि लोग आज से 5 साल पहले महंगाई बढ़ने पर भारत बंद कर दिया करते थे ,
अब यह अच्छे दिन नही हैं तो और क्या है ....
तुम भी ना यार हर बार बीजेपी को गलत समझते हो ।

तुम्हे पता भी है लोग बीजेपी को वोट क्यों देते हैं ...

काले धन की वापसी के लिए - नहीं
महंगाई कम करने के लिए - नहीं
रोजगार प्राप्ति के लिए - नहीं

वोट इसलिए देते हैं , क्योंकि हमें बाकी धर्मो से खतरा है ,
और बीजेपी ही हमें बचा सकती है ।

चलो मान लिया ऐसा है भी अगर , पर जो दूसरे धर्मों के लोगो से वोट आए ,
उन लोगो को कैसे पहचाना जाएगा ।

जवाब जरूर देना ।

#अज्ञानी_हूँ_मैं

#सचिन_कुमार
#SchnKmrPrajapati

Friday 25 May 2018

मौजूदा सरकार ने दो बड़े फैसले लिए ,
अच्छी बात है , अत्यंत सराहनीय कार्य ।

पर अब हमारी वो छोटी सी दुकान जिससे हमारी दाल रोटी चल रही थी , हाँ कभी कभी पनीर भी बन जाता था ।

अब ज्यादा नही चल रही है ,
लोग कह रहे हैं , मार्किट ठप पड़ी है , छोटे दुकानदार बस गुज़र-बसर कर रहे हैं ,

अब ऐसे में अगर बुलेट ट्रेन आ भी जाए , तो उसकी टिकट खरीदने के पैसे नही है मेरे पास ।

#अज्ञानी_हूँ_मैं
#schn_kmr_prajapati
#सचिन_कुमार

Tuesday 10 April 2018

बे-ख्याल

पानी के ऊपर चलने के लिए क्या जरूरी है  ???

वैसे मैं तो अज्ञानी हुँ
पर
शायद गति ...

आज कोई विज्ञान से संबंधित पोस्ट नही डाल रहा हुँ ,
क्योंकि मुझे इस बात का डर है , कि कहीं तुम लोग ये ना
कहने लगो को भाई ... कुछ समझ नही आया ।

बरहाल ... मुद्दे पर आता हुँ ,
टेक्नोलॉजी या तकनीक ने हमें असीम गति प्रदान की है ।
इतनी गति की हम समय रूपी दरिया को आसानी से
पार कर सकते हैं ... अच्छी बात है , होना भी चाहिए ।

पर इससे कमी क्या हुई ...

ज्यादा गति पाने के चक्कर में
हम गहराई को समझ नही पाए ।

अब आगे मैं नही समझा पाऊंगा ... क्योंकि
तुम लोग बहोत समझदार हो , और मैं ,

मैं अज्ञानी हुँ

#सचिन_कुमार
#मैं_अज्ञानी_हुँ

Saturday 6 January 2018

Gazal

तुम्हारी ज़ानिब से भी कुछ परवाना होना चाहिए ,
इधर हमको भी कुछ दीवाना होना चाहिए ।

क्या मालूम किस वक़्त आँखे टकरा जाए ,
उनकी गली में भी जाने का कुछ बहाना होना चाहिए ।

वो कहती है कहीं दूर ले चलो तुम मुझे इस दुनिया से ,
ना समझ को समझ नही है इसके लिए भी कुछ खजाना होना चाहिए ।

#सचिन_कुमार

Gazal

सभी मोहब्बत की शिकायत करते हैं ,
पर ऐ इश्क़ हम तेरी इनायत करते हैं ।

वरक़ , अश्क़ और फिर सियाही गुमराह ,
चलो इसे इश्क़ में एक अलामत करते हैं ।

इस शहर में तो अब सभी हमदर्द बन बैठे ,
एक नई शुरुआत-ए-मसाफ़त करते हैं ।

हर पहर , इश्क़ , तू , और तेरी याद ,
ये सब मेरी ग़ज़ल से शरारत करते हैं ।

बयान बदले हैं मैंने भी तुम्हारी खातिर ,
हाँ मोहब्बत में "कुमार" सियासत करते हैं ।

◆इनायत - पक्ष ◆अलामत - प्रतीक ◆मसाफ़त - सफर ◆सियासत - राजनीति

#सचिन_कुमार

Wednesday 19 October 2016















                                             किस उलझन में आकर फस गया , ये बेचारा दिल ,
                                                 तेरी ज़ुल्फ़ों में आकर फस गया , ये बेचारा दिल ।
                                                  #सचिन